जौनपुर में 11 वर्ष पूर्व 28 जुलाई 2005 को हुए श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड में बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन 'हूजी' से संबद्ध एक अपराधी आलमगीर उर्फ़ रोनी को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है।इस वारदात में कुल सात आतंकी शामिल बताए गये थे ।
जौनपुर के जिला कारागार में ही निरुद्ध
दूसरे आरोपी ओबैदुर्रहमान की सजा पर 2 अगस्त 2016 को अदालत अपना फैसला सुनायेगी।वारदात की सालों लम्बी सुनवाई के बाद 30 जुलाई 16 को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम बुद्धिराम यादव की अदालत ने यह पहला फैसला सुनाया ।
वाराणसी-लखनऊ रेल खंड पर जौनपुर के राजा हरपाल सिंह रेलवे स्टेशन के पास स्थित हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग पर राजगीर (बिहार) से नई दिल्ली जा रही 12391श्रमजीवी ट्रेन में विस्फोट हुआ था। इस कांड में 12 यात्रियों की मौत हो गयी थी,जबकि 60 यात्री घायल हो गए थे । इस घटना में जौनपुर के निवासी अमरनाथ चौबे की मौत हुई थी और घायलों में 5 यात्री जौनपुर के थे।
इस मामले में राजकीय रेलवे पुलिस की तफ्तीश के दौरान कुल 7 आरोपियों का नाम प्रकाश में आया । इनमें शामिल हिलाल और नफीकुल विश्वास दूसरे मामले में आंध्र प्रदेश के चेरापल्ली जेल में बन्द हैं । विस्फोट कांड का मास्टर माइंड कंचन उर्फ़ शरीफ अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका।एक अभियुक्त याहिया की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो चुकी है । एक अन्य आरोपी डॉ. सईद के नाम की तसदीक नहीं हो सकी ।
बांगलादेश के निवासी एवं ट्रेन में विस्फोट के आरोपी आतंकी आलमगीर उर्फ़ रोनी का फैसला सुनाए जाते समय सुरक्षा के मद्देनजर दीवानी न्यायालय को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। जिला कारागार से लेकर दीवानी न्यायालय तक चप्पे चप्पे पर सशस्त्र पुलिस और गुप्तचर तैनात रहे।