धनंजय सिंह न खुद पाए और न अपनी पत्नी को ही दिला सके किसी राजनीतिक दल का टिकट
जौनपुर। जिले में हो रहे मल्हनी उपचुनाव के लिए दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने नामांकन प्रक्रिया के पांचवें दिन अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा क्षत्रिय प्रत्याशी उतारे जाने के बाद कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगा दिया। हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने भी एक ब्राह्मण प्रत्याशी जयप्रकाश दुबे को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा प्रत्याशी सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल भी कर चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता मनोज सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा प्रत्याशी मनोज सिंह बरसठी क्षेत्र के बबुरीगांव (बेलौना) के निवासी कृषक हवलदार सिंह के 4 पुत्रों में दूसरे नंबर पर हैं। छात्र जीवन से राजनीति में
दिलचस्पी रखने वाले मनोज सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्ष 2004 के छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर चुने गए थे। उनकी पत्नी रूबी सिंह वर्ष 2010 में बरसठी ब्लाक की प्रमुख निर्वाचित हो चुकी हैं।
कांग्रेस द्वारा घोषित प्रत्याशी राकेश मिश्रा उर्फ मंगला गुरू भी लगभग तीन दशक से राजनीति में हैं। उनके रूप में कांग्रेस ने अपने सच्चे सिपाही को मैदान में उतारा है। राकेश मिश्र मूलतः मल्हनी विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम सैदपुर डमरुआ के निवासी हैं। वे वर्तमान में सिकरारा ब्लाक के ग्राम पुरवा (समाधगंज) में रहते हैं।वे सेवानिवृत्त सूबेदार स्व. श्रीनाथ मिश्र के पुत्र हैं। वे कांग्रेस के प्रमुख नेता प्रमोद तिवारी के करीबी बताए जाते हैं। अपने
राजनीतिक सफर में वे ग्राम प्रधान, प्रधान संघ के अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत सदस्य रह चुके हैं।कांग्रेस से वे 1984 में जुड़े। यूथ कांग्रेस के बाद कांग्रेस सेवा दल के जिला उपाध्यक्ष व महामंत्री पद पर रह चुके हैं। जिला कमेटी में सचिव एवं महासचिव, जिला उपाध्यक्ष के बाद मनरेगा निगरानी समिति के जिला चेयरमैन, रह चुके हैं।वर्तमान में जिला किसान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहे हैं। परिवार में पत्नी श्रीमती आशा मिश्र और दो पुत्र हैं।
भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही 'बाहुबली' धनंजय सिंह की किसी राजनीतिक पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की मंशा एक बार फिर अधूरी रह गई। सूत्रों से मिली एक दिलचस्प जानकारी के अनुसार धनंजय सिंह भाजपा में
अपने लिए कोई गुंजाइश न देख कर अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी (पहले से ही भाजपा की सदस्य) को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे थे, दूसरी तरफ वे अपने लिए कांग्रेस का टिकट फाइनल करवा रहे थे। फिलहाल उनकी किसी राजनीतिक पार्टी से एक अदद टिकट की आस नहीं पूरी हो सकी। अब उनके पास निर्दल चुनाव का ही विकल्प बचा है।