मंगलवार, मार्च 06, 2018

लोक संगीत समारोह

        लोक संगीत समारोह

  सुरुचिपूर्ण लोक संगीत को जीवित रखने के उद्देश्य से श्री द्वारिकाधीश लोक संस्कृति संस्थान (लखनऊ राजमार्ग पर नौपेड़वा से चार सौ मीटर की दूरी पर चुरावनपुर गाँव में स्थित) प्रत्येक वर्ष होली पर्व पर  लोकगीत कलाकारों को जुटा कर कार्यक्रम आयोजित करता है। इस वर्ष भी संस्थान की तरफ से चुरावनपुर के मेघदूत परिसर में "लोक संगीत समारोह" का आयोजन किया गया। इसमें जिले के विलुप्त हो रहे फाग गीतों फगुआ, चौताल, चहका, धमार, उलारा, बेलवइया एवं चैता आदि की प्रस्तुति की गई।हर गीतों पर ढोलक की थाप, मजीरा और अन्य परम्परागत वाद्य यंत्रों की धुन पर उपस्थित श्रोतागण झूमने पर  मजबूर हो गए।
फागुनी गीतों के धमाल में लोक गायक बाबू बजरंगी सिंह, सत्यनाथ पांडेय, झीनू दुबे, कैलाश शुक्ल, त्रिवेणी प्रसाद पाठक, लक्ष्मी उपाध्याय, भुट्टे मियां, नजरू उस्ताद, कृष्णानंद उपाध्याय सहित साथियों ने "बनन में कोयल कागा बोलय, छतन पे बोलई हे मोरवा, घरवन में गौरैया चहचहानी हो रामा पिया नहीं आए, बाज रही पैजनिया छमाछम बाज रही पैजनिया" जैसे फागुनी गीतों को सुना कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। संस्थान अवधी लोक गीतों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सक्रिय है। संस्थान के संरक्षक डॉ.अरविंद मिश्र ने कहा कि संस्थान का प्रयास होगा कि यह परंपरा विलुप्त न हो। अध्यक्ष डॉ.मनोज मिश्र ने बताया कि आज होली के नाम पर परंपरागत लोक गीतों के स्थान पर अश्लील गीतों का प्रदर्शन हो रहा है, जिसका विकल्प बनाये रखने के लिए संस्थान कृत संकल्पित है। बकौल डॉ. मनोज मिश्र उन्होंने जब यह आयोजन अपने हाथ में लिया था तब जिले में करीब बीस अच्छे कलाकार शामिल होते थे लेकिन अब सिर्फ सात कलाकार ही शेष हैं। गायकों को डॉ.अरविंद मिश्र एवं पंकज द्विवेदी द्वारा शाल पहनाकर सम्मानित किया गया। संचालन पं.श्रीपति उपाध्याय व आभार ओंकार मिश्र ने व्यक्त किया।

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