शुक्रवार, अगस्त 26, 2016

फिर लौटीं बिना दुल्हन के दोनों ही बारातें


     जौनपुर जिले के सिरकोनी क्षेत्र में कजगांव (टेढ़वा) का ऐतिहासिक और अनोखा कजरी मेला परम्परागत ढंग से सम्पन्न हुआ।प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी मेले में गाजे-बाजे के साथ राजेपुर और कजगांव के लोग हाथी, घोड़ा, ऊंट पर चढ़कर दूल्हे के रूप में आमने - सामने आये।दोनों गाँवों के दूल्हों ने शादी का दावा पेश किया । परम्परानुसार गाली-गलौज कर अपने को दूल्हा बताकर वे शादी के लिये ललकारते रहे लेकिन बात नहीं बनी।हर बार की तरह इस बार भी वे लोग अगले वर्ष फिर बारात लेकर आने की बात कहते हुये बिना दुल्हन के ही वापस लौट गये।  
आपसी सौहार्द एवं भाईचारे का प्रतीक इस कजरी मेला को देखने के लिये दूर-दराज के लोग कई दिन पहले ही यहां आ जाते हैं। मेले में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी । इस ऐतिहासिक मेले की प्राचीनता  के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन करीब 90 वर्ष से चले आ रहे अपने ढंग के इस मेले में गाजे-बाजे के साथ राजेपुर एवं कजगांव के लोग हाथी, घोड़ा, ऊंट पर चढ़कर दूल्हे एवं बारात के रूप में आते हैं।इस बार भी बैण्ड-बाजे की धुन पर बाराती जमकर थिरके लेकिन इस वर्ष भी दोनों गांव से आये दूल्हों की इच्छा पूरी नहीं हो सकी और बिना दुल्हन के ही बारातें वापस लौट गयीं।
    जनश्रुति के अनुसार कजरी के मौके पर रात में बरसात होने के चलते एक गांव की लड़कियां दूसरे गांव में रूक गयीं।गाँव के लोगों ने उन्हें सम्मानपूर्वक आश्रय दिया और सुबह उपहारों के साथ उन्हें उनके घर पहुँचा दिया गया। इस प्रकरण को लेकर दोनों गाँव के लोगों के बीच परिहासपूर्ण बातें हुई, जिसके बाद से यह मेला शुरू हुआ।

    मेले से पूर्व  कजगांव में जगह-जगह मण्डप गड़ जाते हैं, वहाँ महिलाएं मंगल गीत गाती हैं। यही हाल राजेपुर में भी होता  जहां पूर्ण वैदिक रीति के अनुसार मण्डप लगाकर मांगलिक गीत होता है। मेले के दिन महिलाएं बकायदे उसी ढंग से बारात विदा करती हैं जैसे वास्तविक में बारात जाती है। गाजे-बाजे के साथ पोखरे पर बारात पहुंचती है, जहां दोनों छोर पर बाराती शादी के लिये ललकारते हैं लेकिन सूर्यास्त के साथ बिना शादी के बारात वापस चली जाती है। मेले में विवाद वास्तविक  रूप न ले ले इसे ध्यान में रख कर प्रशासन पहले से ही चैकन्ना रहता है। पुलिस, पीएसी व अर्द्धसैनिक बल के जवान पूरे मेला क्षेत्र में रहते हैं। कुल मिलाकर यह मेला पूरी तरह आपसी सौहार्द व भाईचारा का मेला है जो परम्परागत ढंग से होता है।

सोमवार, अगस्त 22, 2016

गोमती नदी उफान पर

जौनपुर में गोमती नदी कई वर्षों के बाद इन दिनों पानी से लबालब भरी हुई है।पीलीभीत (  उद्गम स्थल) से लेकर जौनपुर तक के रास्ते में अच्छी
बरसात से ऐसा संभव हो सका।हालाँकि जौनपुर में अभी पर्याप्त बरसात का अभी इंतजार है लेकिन नदी के रास्ते वाली अन्य जगहों पर भारी बरसात से यहाँ भी नदी उफान पर है ।गोमती नदी के तटीय क्षेत्रों के करीब पानी पहुँचने से वहाँ बसे लोग व्याकुल हैं ।प्रशासन ने भी 'एलर्ट' जारी कर
दिया है । तटवर्ती आवासीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा महसूस किया जाने लगा है ।गौरतलब है कि पिछले पांच वर्षों से बहुत कम पानी बरसने से लगभग सूखे जैसे हालात रहे हैं ।