बेगमगंज में एक अतिक्रमण नहीं हटवा
पा रहा समूचा प्रशासनिक तंत्र
जौनपुर। शहर के सुन्दरीकरण की कवायद में प्रशासन जहां एक तरफ लोगों के घरों और दुकानों को तोड़वा रहा है , वही दबंगों द्वारा सार्वजनिक जमीनों पर कब्जे की कोशिशें भी जारी हैं। बेगमगंज मुहल्ले में मुख्य मार्ग से हौज जाने वाली सड़क के ठीक नुक्कड़ पर ऐसा ही एक कब्जा इसका उदाहरण है।
करीब एक वर्ष पूर्व बेगमगंज में प्रशासन ने तोड़ -फोड़ के बाद सड़क का चौड़ीकरण करवाया । हौज मार्ग के शुरूआती छोर पर उसी समय से नुक्कड़ की एक सार्वजनिक भूमि पर कब्जे की कोशिश जारी है । मुहल्ले के लोगों ने जिलाधिकारी से मौखिक और लिखित शिकायत की। प्रशासन ,नगर पालिका परिषद और पुलिस ने अतिक्रमणकर्ता को चेतावनी दी और कब्जा हटा लेने को कहा।
दिलचस्प बात यह है कि क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा बेगमगंज के इस अतिक्रमण की लगातार शिकायतें की जाती रही हैं लेकिन कब्जे की कोशिश परवान चढ़ती रही। पहले जगह घेरी गयी, फिर चबूतरा बन गया और नागरिकों के विरोध एवं वहीं की निवासिनी वरिष्ठ अधिवक्ता मंजू शास्त्री द्वारा प्रशासन तथा नगर पालिका परिषद को समय -समय पर सूचित किये जाने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटा । सिर्फ निर्माण की गति धीमी हो गयी ।
क्षेत्रीय नागरिकों के मुताबिक अतिक्रमणकर्ता ने मुख्य मार्ग पर स्थित उस कब्जे की जमीन का किसी से सौदा भी कर रखा है। सौदे में निर्माण करा कर उसे दुकान के रूप में खरीदने वाले के हवाले करने की शर्त शामिल है। इसलिए थोड़े -थोड़े अन्तराल के बाद उसे दुकान की शक्ल देने की कोशिशें जारी हैं । नागरिकों के मुताबिक अतिक्रमण स्थल चौराहे पर बेगमगंज -हौज मार्ग के नुक्कड़ पर स्थित

है। अतिक्रमण के चलते ठीक वहीं पर हौज मार्ग की चौड़ाई कम हो गयी है तथा निर्माण के बाद वहा अंधा मोड़ होगा जो लाल दरवाजा मस्जिद की तरफ से आने वाले वाहनों एवं राहगीरों के लिए खतरे का कारण भी बन सकता है । अतिक्रमण के कारण हौज मार्ग से आने वाले वाहनों को भी दाहिने मुड़ते समय लाल दरवाजा मस्जिद की तरफ से आने वाले लोगों /वाहनों को दूर से देखने में असुविधा हेागी।
नागरिकों में इस बात को लेकर चिन्ता है कि लगातार प्रशासन और नगर पालिका परिषद का ध्यान आकर्षित किये जाने तथा दो बार प्रशासन के निर्देश पर पुलिस द्वारा चेतावनी दिये जाने के बावजूद यह खेल कैसे जारी है ।
समझा जा रहा है कि अतिक्रमण करने वाले लोग मान कर चल रहे हैं कि सरकारी अधिकारियों के पास एक मामले को बार-बार देखने की फुर्सत ही कहां है ? मौका मिलते ही काम निपटा लेंगे।
पा रहा समूचा प्रशासनिक तंत्र
जौनपुर। शहर के सुन्दरीकरण की कवायद में प्रशासन जहां एक तरफ लोगों के घरों और दुकानों को तोड़वा रहा है , वही दबंगों द्वारा सार्वजनिक जमीनों पर कब्जे की कोशिशें भी जारी हैं। बेगमगंज मुहल्ले में मुख्य मार्ग से हौज जाने वाली सड़क के ठीक नुक्कड़ पर ऐसा ही एक कब्जा इसका उदाहरण है।
करीब एक वर्ष पूर्व बेगमगंज में प्रशासन ने तोड़ -फोड़ के बाद सड़क का चौड़ीकरण करवाया । हौज मार्ग के शुरूआती छोर पर उसी समय से नुक्कड़ की एक सार्वजनिक भूमि पर कब्जे की कोशिश जारी है । मुहल्ले के लोगों ने जिलाधिकारी से मौखिक और लिखित शिकायत की। प्रशासन ,नगर पालिका परिषद और पुलिस ने अतिक्रमणकर्ता को चेतावनी दी और कब्जा हटा लेने को कहा।
दिलचस्प बात यह है कि क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा बेगमगंज के इस अतिक्रमण की लगातार शिकायतें की जाती रही हैं लेकिन कब्जे की कोशिश परवान चढ़ती रही। पहले जगह घेरी गयी, फिर चबूतरा बन गया और नागरिकों के विरोध एवं वहीं की निवासिनी वरिष्ठ अधिवक्ता मंजू शास्त्री द्वारा प्रशासन तथा नगर पालिका परिषद को समय -समय पर सूचित किये जाने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटा । सिर्फ निर्माण की गति धीमी हो गयी ।
क्षेत्रीय नागरिकों के मुताबिक अतिक्रमणकर्ता ने मुख्य मार्ग पर स्थित उस कब्जे की जमीन का किसी से सौदा भी कर रखा है। सौदे में निर्माण करा कर उसे दुकान के रूप में खरीदने वाले के हवाले करने की शर्त शामिल है। इसलिए थोड़े -थोड़े अन्तराल के बाद उसे दुकान की शक्ल देने की कोशिशें जारी हैं । नागरिकों के मुताबिक अतिक्रमण स्थल चौराहे पर बेगमगंज -हौज मार्ग के नुक्कड़ पर स्थित
है। अतिक्रमण के चलते ठीक वहीं पर हौज मार्ग की चौड़ाई कम हो गयी है तथा निर्माण के बाद वहा अंधा मोड़ होगा जो लाल दरवाजा मस्जिद की तरफ से आने वाले वाहनों एवं राहगीरों के लिए खतरे का कारण भी बन सकता है । अतिक्रमण के कारण हौज मार्ग से आने वाले वाहनों को भी दाहिने मुड़ते समय लाल दरवाजा मस्जिद की तरफ से आने वाले लोगों /वाहनों को दूर से देखने में असुविधा हेागी।
नागरिकों में इस बात को लेकर चिन्ता है कि लगातार प्रशासन और नगर पालिका परिषद का ध्यान आकर्षित किये जाने तथा दो बार प्रशासन के निर्देश पर पुलिस द्वारा चेतावनी दिये जाने के बावजूद यह खेल कैसे जारी है ।
समझा जा रहा है कि अतिक्रमण करने वाले लोग मान कर चल रहे हैं कि सरकारी अधिकारियों के पास एक मामले को बार-बार देखने की फुर्सत ही कहां है ? मौका मिलते ही काम निपटा लेंगे।