मंगलवार, अक्टूबर 08, 2024

विश्व वास्तुकला दिवस मनाया रोटरी जौनपुर ने


    इंटरनेशनल यूनियन ऑफ आर्किटेक्ट्स ने हाल ही में इस वर्ष के विश्व वास्तुकला दिवस की थीम का ब्यौरा दिया. वर्ष 1985 में अपनी स्थापना के बाद से हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार को मनाया जाने वाला यह दिन आर्कीटेक्ट समुदाय के प्रयासों को वैश्विक शहरी विकास लक्ष्यों के

साथ जोड़ता है. इस वर्ष विश्व वास्तुकला दिवस 2024 की थीम, "सहभागी शहरी डिजाइन में अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना" है. इस थीम के माध्यम से, यूआईए का कहना है कि वह युवा वास्तुकारों को टिकाऊ शहरी विकास की दिशा में नए दृष्टिकोणों का योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है. फोकस के प्रमुख क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट प्रबंधन, टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग और टिकाऊ गतिशीलता को बढ़ावा देना शामिल है.

     रोटरी क्लब जौनपुर ने को विश्व वास्तुकला दिवस के अवसर पर जिले की पहली और एकमात्र महिला आर्किटेक्ट ज्योति सिंह के साथ एक संगोष्ठी आयोजित किया। इस अवसर पर ज्योति सिंह ने भवन निर्माण के क्षेत्र में आर्किटेक्ट की उपयोगिता और समाज मे फैली भ्रांतियों के बारे में विस्तार से चर्चा किया। कहा कि भारत में आर्किटेक्ट्स की भूमिका पिछले कुछ वर्षों में काफी विकसित हुई है, जिसमें स्मार्ट डिजाइन और स्थिरता का महत्व लगातार बढ़ रहा है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे डिजाइन विकसित करने पर अधिक दबाव है जिसमें निर्माण और रखरखाव लागत को नियंत्रित करते हुए टिकाऊ तत्वों और प्रौद्योगिकी को शामिल किया जाए।


शहरी वातावरण में भूमि की उपलब्धता सीमित है, और कार्यात्मक और रचनात्मक पहलुओं के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। ज्योति सिंह ने कहा कि आर्किटेक्ट न केवल आपको वास्तुकला के विभिन्न आयामों से परिचित करता है बल्कि उपलब्ध जगह का सम्पूर्ण सदुपयोग करके एक बेहतर निर्माण में भी आपकी मदद करता है।             

        रोटरी अध्यक्ष श्याम वर्मा ने आर्किटेक्ट ज्योति सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि आज की भावी पीढ़ी के लिए वास्तुकला सशक्त माध्यम ही नहीं विश्व को सुन्दर बनाने में उसका बड़ा योगदान है। कलाविद रविकांत जायसवाल ने कहा कि डिज़ाइन के ज़रिए, हम प्राकृतिक परिदृश्यों, मूल्यवान कृषि भूमि के विनाश को रोकने और वैश्विक स्तर पर मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
     इंटीरियर डिजाइनर अमित सिंह ने उपस्थित लोगों को इंटीरियर डिजाइन और आर्किटेक्ट के सम्मिश्रण से बने हुए उत्कृष्ट भवन के नमूने त्रिआयामी तकनीक के माध्यम से दिखाए। अंत में सचिव शिवांशु श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मनीष चन्द्र, संजय जायसवाल, मनीष गुप्त, केके मिश्र, डॉक्टर बृजेश कन्नौजिया, डॉ. ऋषभ यादव, अमित कुमार पांडेय, इनरव्हील अध्यक्ष ममता मिश्रा, जेसीआई क्लासिक अध्यक्ष ऋचा गुप्ता, डॉक्टर अजय पांडेय, विशाल गुप्ता, राजीव साहू इत्यादि उपस्थित रहे।

बुधवार, अक्टूबर 14, 2020

मल्हनी से भाजपा ने मनोज सिंह को तो कांग्रेस ने 'मंगला गुरू' को उतार दिया मैदान में

धनंजय सिंह न खुद पाए और न अपनी पत्नी को ही दिला सके किसी राजनीतिक दल का टिकट

जौनपुर। जिले में हो रहे मल्हनी उपचुनाव के लिए दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने नामांकन प्रक्रिया के पांचवें दिन अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा क्षत्रिय प्रत्याशी उतारे जाने के बाद कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगा दिया। हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने भी एक ब्राह्मण प्रत्याशी जयप्रकाश दुबे को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा प्रत्याशी सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल भी कर चुके हैं।

    भारतीय जनता पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता मनोज सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा प्रत्याशी मनोज सिंह बरसठी क्षेत्र के बबुरीगांव (बेलौना) के निवासी कृषक हवलदार सिंह के 4 पुत्रों में दूसरे नंबर पर हैं। छात्र जीवन से राजनीति में


दिलचस्पी रखने वाले मनोज सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्ष 2004 के छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर चुने गए थे। उनकी पत्नी रूबी सिंह वर्ष 2010 में बरसठी ब्लाक की प्रमुख निर्वाचित हो चुकी हैं।

   कांग्रेस द्वारा घोषित प्रत्याशी राकेश मिश्रा उर्फ मंगला गुरू भी लगभग तीन दशक से राजनीति में हैं। उनके रूप में कांग्रेस ने अपने सच्चे सिपाही को मैदान में उतारा है। राकेश मिश्र मूलतः मल्हनी विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम सैदपुर डमरुआ के निवासी हैं। वे वर्तमान में सिकरारा ब्लाक के ग्राम पुरवा (समाधगंज) में रहते हैं।वे सेवानिवृत्त सूबेदार स्व. श्रीनाथ मिश्र के पुत्र हैं। वे कांग्रेस के प्रमुख नेता प्रमोद तिवारी के करीबी बताए जाते हैं। अपने


राजनीतिक सफर में वे ग्राम प्रधान, प्रधान संघ के अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत सदस्य रह चुके हैं।कांग्रेस से वे 1984 में जुड़े। यूथ कांग्रेस के बाद कांग्रेस सेवा दल के जिला उपाध्यक्ष व महामंत्री पद पर रह चुके हैं। जिला कमेटी‌ में सचिव एवं महासचिव, जिला उपाध्यक्ष के बाद मनरेगा निगरानी समिति के जिला चेयरमैन, रह चुके हैं।वर्तमान में जिला किसान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहे हैं। परिवार में पत्नी श्रीमती आशा मिश्र और दो पुत्र हैं।

   भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही 'बाहुबली' धनंजय सिंह की किसी राजनीतिक पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की मंशा एक बार फिर अधूरी रह गई। सूत्रों से मिली एक दिलचस्प जानकारी के अनुसार धनंजय सिंह भाजपा में


अपने लिए कोई गुंजाइश न देख कर अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी (पहले से ही भाजपा की सदस्य) को
 टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे थे, दूसरी तरफ वे अपने लिए कांग्रेस का टिकट फाइनल करवा रहे थे। फिलहाल उनकी किसी राजनीतिक पार्टी से एक अदद टिकट की आस नहीं पूरी हो सकी। अब उनके पास निर्दल चुनाव का ही ‌विकल्प बचा है।


गांव के सरकारी स्कूल की छात्रा ने अमेरिकन आनलाइन डांस कंपटीशन में बाजी मारी

 जौनपुर। गांव के सरकारी स्कूल में आठवीं क्लास की एक श्रमिक की बेटी ने न्यूयॉर्क (यूएसए) की एक संस्था द्वारा आयोजित “सत्यमेव जयते ऑन लाइन डांस कंपटीशन” बाजी मारी है। उसने पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है। इस छात्रा के पिता विश्वास कुमार जिले में सिकरारा विकास खण्ड स्थित इब्राहिमाबाद गांव के निवासी हैं और एक हलवाई की दुकान पर काम करते हैं। उनकी बेटी अन्नू गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्रा है।

      स्कूल में पढ़ाई के साथ आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अन्नू की प्रतिभा को देखते हुए स्कूल की शिक्षिका माधुरी जायसवाल ने उसे प्रोत्साहित किया। गरीब घर की बेटी अन्नू के पास स्मार्ट फोन नहीं है। उसकी प्रतिभा को पहचान कर शिक्षिका ने न केवल उसे प्रतियोगिता की जानकारी दी बल्कि अपने मोबाइल से उसकी तैयारी कराकर सत्यमेव जयते ऑनलाइन डांस कंपटीशन में हिस्सा दिलाया। इस प्रतियोगिता में अन्नू विजेता रही। परिणाम घोषित होनेे के बाद से परिवार,

गांव और स्कूल समेत जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में बेहद खुशी है। उसे 11 हजार रुपये और एक स्मार्ट फोन बतौर इनाम मिला है। अन्नू की सफलता से मां-बाप काफी खुश हैं, उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने जो सफलता हासिल की है, उसका पूरा श्रेय शिक्षकों का ही है। अन्नू का कहना है कि यह उसका शौक है, लेकिन आगे वह डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती है।

   "सत्यमेव जयते यूएसए" के संस्थापक ओम वर्मा ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि अन्नू आगे पढ़ना चाहेगी तो हम उसकी मदद करेंगे, जैसे हम बच्ची दुर्गा, सान्या और सोनिया की पढ़ाई का खर्चा उठा रहे हैं, उसी तरह अन्नू की भी मदद करेंगे। इस आनलाइन प्रतियोगिता का  दूसरा पुरस्कार 7500 रु. का और तीसरा पुरस्कार 5000 रु. का था। दिल्ली पुलिस के डीसीपी जतीन्द्र मणि त्रिपाठी  प्रतियोगिता के मुख्य जज थे। 

गुरुवार, जुलाई 30, 2020

इसरो-आईआईआरएस के कोर्स का पूर्वांचल विश्वविद्यालय में नोडल केंद्र

   जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से भी अब ऑनलाइन तकनीकी कोर्स किया जा सकता है। इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के देहरादून स्थित भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान ने अपने आउटरीच प्रोग्राम के अन्तर्गत ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु पूर्वांचल विश्वविद्यालय में भी नोडल केंद्र बनाया है। विवि के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) इंस्टीट्यूट स्थित भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग को नोडल केंद्र की मान्यता मिली है।
        आईआईआरएस आउटरीच प्रोग्राम ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों में अकादमिक और उपयोगकर्ता सेगमेंट को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म, लाइव एंड इंटरएक्टिव मोड (जिसे EDUSAT के रूप में जाना जाता है) और ई-लर्निंग मोड का उपयोग करके दो वितरण प्रणाली विकसित की गई है। लाइव और इंटरएक्टिव क्लास के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना प्रणाली, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और संबंधित भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।
       ई-लर्निंग मोड स्व-पुस्तक और शिक्षार्थी केंद्रित है और ऑनलाइन सिम्युलेटेड शिक्षण सामग्री का उपयोग करके दूरस्थ संवेदन और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए शिक्षाविदों और शोद्यार्थियों को लक्षित करता है। इसरो-आईआईआरएस के इस संयुक्त कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के छात्र/वैज्ञानिक कर्मचारी/शोधकर्ता भाग ले सकते हैं। ऑनलाइन पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद अभ्यर्थी को सर्टिफिकेट भी मिलेगा। 
         कृषि जल प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग, रिमोट सेंसिंग भौगोलिक सूचना प्रणाली और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैसे ऑनलाइन कोर्स के लिए छात्र आईआईआरएस आउटरीच प्रोग्राम के अन्तर्गत वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित रज्जू भैया इंस्टीट्यूट नोडल केंद्र को चुन कर आवेदन कर सकते हैं।
    असिस्टेंट प्रोफेसर एवं इस आउटरीच प्रोग्राम के समन्वयक डॉ. श्रवण कुमार का इसमें अच्छा प्रयास रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम के शुरू होने से विशेषकर भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के अंतर्गत संचालित एटमोस्फियरिक साइंस एवं एप्लाइड जियोलॉजी के स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा। साथ ही भविष्य में उन्हें इसरो जैसी अन्य केंद्रीय प्रयोगशालाओं में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।

गुरुवार, जून 25, 2020

अब तो डराने लगी है मुंबई


राकेश दुबे

मुंबा देवी की नगरी मुंबई से डर? सपनों की नगरी मुंबई से डर? यह मैं क्या लिख रहा हूं? दिन – रात दौड़ने और कभी न थमने वाली मुंबई से डर? हर जाति, हर धर्म और हर प्रांत के लोगों को अपने
आंचल की छांव में हमेशा सुख देने वाली मुंबई से डर? सबको रोजगार, मान, सम्मान, शोहरत और दौलत देने वाली मुंबई से डर? अरे रे रे यह क्या हो गया है मुझे? ये कैसी बात कर रहा हूं मैं? नहीं जनाब, मुझे कुछ नहीं हुआ, मैं कोई ऐसी – वैसी बात नहीं कर रहा। जो कह रहा हूं, पूरी सच्चाई कह रहा हूं। मुंबई से डर एक हकीकत है और यह हकीकत है कोरोना संक्रमण के डर की, जिस वायरस से आज पूरी दुनिया डरी हुई है। मायानगरी मुंबई अब यहां के लोगों को डराने लगी है। यहां रह रहा प्रत्येक व्यक्ति डरा हुआ है। वह कब, कहां और कैसे कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएगा, उसे भी नहीं पता? उसे डर है मुंबई में कोरोना के बढ़ते संक्रमण का। क्योंकि कोरोना वायरस मुंबई में ही सबसे ज्यादा बढ़ रहा है। मुंबई का कोई भी ऐसा इलाका नहीं है, जहां कोरोना की पहुंच न हो। फिर वह झुग्गी – झोपड़ियां हों, चॉल हों, वाड़ियां हो, इमारते हों, हाउसिंग


कॉम्प्लेक्स हों या फिर गगनचुंबी इमारतें ही क्यों न हों। हर जगह पहुंच चुका है कोरोना। अब तो अस्पताल, पुलिस स्टेशन, जेल, होटल, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय, कॉर्पोरेट हाउसेस और एयरपोर्ट तक सुरक्षित नहीं हैं कोरोना से। इस महामारी के चलते मुंबई में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है, दिनों दिन इसमें हजारों की संख्या में इजाफा भी हो रहा है। इस बीमारी से मरने वालों की संख्या भी यहां सबसे अधिक है। इसीलिए यहां के लोग डरे हुए हैं। लोगों को लगता है कि मुंबई में रुके रहे तो क्या भरोसा कब कोरोना की चपेट में आ जाएं? न जाने वह कब हमें पकड़ ले? बेहतर है कहीं और चला जाए। इसी कहीं और के चले चलने के भरोसे पर लोग अपने मूल गांव की ओर, अपने वतन की ओर और अपने फार्म हाउस की ओर जाने लगे हैं। और जाने वालों की संख्या कम नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा है।  
एक तरफ कोरोना का जानलेवा संक्रमण और दूसरी ओर उद्योग धंधों का बंद होना। इससे आम ही नहीं खास आदमी भी पिस कर रह गया है। व्यापार ठप है, किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधियां शुरू नहीं हो पा रही हैं। यदि कोई एक व्यवसाय शुरू भी हो रहा है तो उससे जुड़ा दूसरा व्यवसाय करने वाले लोग काम पर नहीं आ रहे हैं। मजदूर लाखों की तादाद में मुंबई से पहले ही जा चुके हैं। अब तक तो मजदूर और झुग्गी – झोपड़ियों में रहने वाले लोग मुंबई से पलायन कर रहे थे, मगर अब हालात यह है कि बड़े – बड़े और धनाढ्य लोग पलायन करने लगे हैं। कोरोना अब बड़े लोगों को भी डराने लगा। लॉकडाउन के चलते धंधा – व्यवसाय में मंदी और अब अनलॉक में उद्योग धंधों पर लगी अघोषित तालाबंदी ने मुंबई से व्यवसायी और उद्योगपतियों तक का मोह भंग कर दिया है। अब इमारतों, हाउसिंग कॉम्प्लेक्सों और गगनचुंबी इमारतों में रहने वाले बड़े लोग भी मुंबई छोड़कर जाने लगे हैं। मुंबई में लॉकडाउन से जहां एक ओर सभी व्यवसाय लगभग चौपट हो गए हैं तो दूसरी ओर अनलॉक के बावजूद कामकाज न होने के कारण लोगों का यहां से बाहर निकल जाने का सिलसिला अब चल पड़ा है। इसके पीछे का मुख्य कारण कोरोना संक्रमण का बढ़ता कहर और उद्योग धंधों का ठप पड़ना बताया जा रहा है। लॉकडाउन में यहां के मजदूर और गरीब वर्ग के लोग पहले ही पलायन कर चुके और अब अनलॉक में व्यापारी, प्रोफेशनल और बड़े – बड़े उद्योगपति शहर छोड़कर जाने लगे हैं। हवाई जहाज और रेलवे में हुई बुकिंग को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। अनलॉक के बाद से मुंबई से बाहर जाने वाली फ्लाइट्स और रेल गाड़ियों की बुकिंग आगामी एक महीने तक फुल है। ट्रेनों में अगले 15 दिन तक वेटिंग चल रही है। जाने वालों में ज्यादातर उद्योगपति, व्यवसायी और प्रोफेशनल हैं, जो शहर छोड़कर जा रहे हैं। ये लोग कब तक वापस लौटेंगे, उन्हें भी नहीं पता। बसों से भी ये लोग मुंबई से बाहर जा रहे हैं और अपनी निजी गाड़ियों से भी। 


मुंबई में कोरोना संक्रमण से हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं, यही कारण है कि प्रवासी श्रमिकों के बाद अब कारोबारी, नौकरीपेशा, अलग – अलग व्यवसाय – धंधों से जुड़े लोग और उद्योगपति पलायन कर रहे हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दावा किया था कि रोज कम से कम 15 हजार मजदूर मुंबई वापस लौट रहे हैं। जबकि बाहर से आने वाली ट्रेनें लगभग खाली आ रही हैं। मुंबई की ओर आने वाली ट्रेनों में मात्र 25 प्रतिशत लोग यात्रा कर रहे हैं। अब जब मुंबई में रोजगार देने वाले लोग ही यहां से पलायन कर रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में मजदूर यहां आकर करेंगे क्या? उन्हें काम कहां मिलेगा? जानकार बताते हैं कि मुंबई ही नहीं पूरे देश में कोरोना से सितंबर या अक्तूबर तक ही छुटकारा मिल सकता है। ऐसे में अनिल देशमुख का दावा खोखला जान पड़ता है। काम ठप है, उद्योग – धंधे बंद हैं और कोरोना संक्रमण से मुंबई सबसे अधिक प्रभावित है। सरकार के पास कोरोना पर काबू पाने का कोई असरदार प्लान भी नहीं है। ऐसे में हालात जल्दी सुधरेंगे, इसके आसार नजर नहीं आते।
लोगों को अब अपने गांव खूब अच्छे लगने लगे हैं। ये वही गांव हैं, जहां छुट्टियों में या समय निकाल कर जाने वाले लोगों का पांच – दस दिन टिक पाना मुश्किल होता था, मगर वही लोग पिछले दो – तीन महीनों से वहीं रह रहे हैं। वहां की आबोहवा, वहां का पानी और वहां के खुलापन का महत्व अब लोगों की समझ में आ रहा है, खासकर उत्तर भारत में रहने वाले लोगों को। अब लोगों को लगता है कि मुंबई में रहने की बजाय यदि वे गांव में हैं तो ज्यादा सुरक्षित हैं। कम से कम कोरोना वायरस के संक्रमण से। मुंबई में रहने और बाहर से यहां आने वाले लोगों
को मुंबई अब अच्छी नहीं लग रही। क्योंकि मुंबई की चकाचौंध गायब है। यहां की गति एकदम से रुक गई है। चहल – पहल खो सी गई है। चारों ओर सन्नाटा सा पसरा है। हमेशा खिलखिलाती रहने वाली मुंबई मौन है। इन सबके बावजूद उम्मीद तो यही की जानी चाहिए कि आज भले ही मुंबई मौन है, उसकी हमेशा चलने और न थकने वाली गति रुक सी गई है, चहल – पहल खो गई है, चकाचौंध गायब है, मगर मुंबई में वह सुबह जरूर आएगी, जब फिर से एक बार वह दौड़ने के लिए उठ खड़ी होगी, अपनी पहले वाली उसी गति से दौड़ने के लिए और वह तेज रफ्तार से एक बार फिर चल पड़ेगी। एक नए उत्साह, नई ऊर्जा औऱ नई उमंग के साथ...। 

# लेखक - वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं.