गुरुवार, जुलाई 30, 2020

इसरो-आईआईआरएस के कोर्स का पूर्वांचल विश्वविद्यालय में नोडल केंद्र

   जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से भी अब ऑनलाइन तकनीकी कोर्स किया जा सकता है। इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के देहरादून स्थित भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान ने अपने आउटरीच प्रोग्राम के अन्तर्गत ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु पूर्वांचल विश्वविद्यालय में भी नोडल केंद्र बनाया है। विवि के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) इंस्टीट्यूट स्थित भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग को नोडल केंद्र की मान्यता मिली है।
        आईआईआरएस आउटरीच प्रोग्राम ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों में अकादमिक और उपयोगकर्ता सेगमेंट को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म, लाइव एंड इंटरएक्टिव मोड (जिसे EDUSAT के रूप में जाना जाता है) और ई-लर्निंग मोड का उपयोग करके दो वितरण प्रणाली विकसित की गई है। लाइव और इंटरएक्टिव क्लास के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना प्रणाली, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और संबंधित भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।
       ई-लर्निंग मोड स्व-पुस्तक और शिक्षार्थी केंद्रित है और ऑनलाइन सिम्युलेटेड शिक्षण सामग्री का उपयोग करके दूरस्थ संवेदन और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए शिक्षाविदों और शोद्यार्थियों को लक्षित करता है। इसरो-आईआईआरएस के इस संयुक्त कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के छात्र/वैज्ञानिक कर्मचारी/शोधकर्ता भाग ले सकते हैं। ऑनलाइन पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद अभ्यर्थी को सर्टिफिकेट भी मिलेगा। 
         कृषि जल प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग, रिमोट सेंसिंग भौगोलिक सूचना प्रणाली और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैसे ऑनलाइन कोर्स के लिए छात्र आईआईआरएस आउटरीच प्रोग्राम के अन्तर्गत वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित रज्जू भैया इंस्टीट्यूट नोडल केंद्र को चुन कर आवेदन कर सकते हैं।
    असिस्टेंट प्रोफेसर एवं इस आउटरीच प्रोग्राम के समन्वयक डॉ. श्रवण कुमार का इसमें अच्छा प्रयास रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम के शुरू होने से विशेषकर भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के अंतर्गत संचालित एटमोस्फियरिक साइंस एवं एप्लाइड जियोलॉजी के स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा। साथ ही भविष्य में उन्हें इसरो जैसी अन्य केंद्रीय प्रयोगशालाओं में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।